NOT KNOWN FACTS ABOUT BHOOT KI KAHANI

Not known Facts About bhoot ki kahani

Not known Facts About bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

हैलो दोस्तो अगर इस कहानी में कुछ गलतियां हो तो माफ़ करना ओर अगर अच्छी लगे तो कॉमेंट्स करना ताकि मोटीवेशन मिले। आशा करता हूं आप सबको पसंद आएगी। तो चलिए कहानी शुरू करता हूं। मेरा नाम अभय शर्मा है। जैसा ...

और सारी बातें उन मम्मी – पापा को बता दी। मेरे पापा मानने को तैयार नहीं थे। कि मैं सच बोल रहा हूं।

वह एक कुत्ता था, लेकिन कोई साधारण कुत्ता नहीं था। इसकी आँखें अलौकिक तीव्रता से चमक रही थीं। कुत्ता घायल और खोया हुआ लग रहा था, इसलिए राम और सोनू दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए सावधानी से उसके पास पहुंचे। आश्चर्यजनक रूप से, कुत्ते ने अपनी पूंछ हिलाई और उनका पीछा करने लगा।

पमिनाबहन और उनके परिवार को यह हकीकत पता चलते ही, वह लोग मकान मालिक की अतृप्त आत्मा की मुक्ति का उपाय करवा देते हैं।

जैसे-जैसे वे गहराई में जाते गए, पानी टपकने की आवाज गूंज उठी, जिससे माहौल और भी डरावना हो गया। अचानक, उन्होंने एक धीमी गड़गड़ाहट सुनी, और उन्हें अंधेरे में चमकती हुयी आँखें दिखी।

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रमेश दूसरी तरफ देखने लगा और उस आदमी को नजर अंदाज करने लगा। उस आदमी ने फिर से रमेश से पूछा। इस बार रमेश को लगा कि यह कोई इंसान ही है। रमेश उस आदमी को ट्रेन के बारे में बताने लगा। तभी घड़ी में दो बज गए। पूरा प्लैटफॉर्म घड़ी की आवाज से गूंज रहा था। रमेश ने घड़ी की तरफ देखा तो वह थोड़ा सा घबरा गया। उसके सामने खड़े आदमी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे जगाया तो वह होश में आ गया। रमेश ने देखा कि सामने खड़ा आदमी उसे धुंधला दिखाई दे रहा है। उसने

गुफा की गहराई में जाने पर, उन्होंने दीवारों पर अजीबोगरीब चित्र देखे, जो डरावने और रहस्यमय थे। उन्हें किसी की उपस्थिति महसूस हो रही थी।

ये किस्सा रीवा जिले का हैं। हम जनता कॉलोनी में रहा करते थे। यही पर हमारी एक बिलडिग थी, इस बिल्डिंग को पामेल बिल्डिंग के […]

बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं करनी है। रमेश प्रसाद की बात ध्यान से सुनता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उठकर प्लैटफॉर्म पर जाने लगा। उसने देखा कि सामने से एक आदमी आ रहा है। वह आदमी और कोई नहीं प्रसाद था। रमेश को समझ नहीं आया कि प्रसाद तो उसके साथ कमरे में था। फिर ये कौन है?

क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।

प्रसाद की लाश जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसे कोई बचाने और वह मरना नहीं चाहता था। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसने अपनी पूरी जान लगा दी। उस स्टेशन से बाहर निकलने में और घबराता हुआ रमेश उस स्टेशन से भाग गया। कुछ दिनों बाद एक नया गार्ड स्टेशन पर ड्यूटी करने आया।

और बोला कि यहां पर जो आवाज आप लोगो ने सुनी थी। वह भूल जाना वरना आप लोग पूरी जिंदगी रोते रहोगे। इतने में ड्राइवर भी आ गया और हम लोग दौड़कर बस में बैठ गए ।

दोस्तों यह कहानी पिछले वर्ष की है कोरोना काल चल रहा था, और मेरी तबीयत कुछ खास नहीं थी तो एक बहुत पढे लिखे वैद्य […]

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